MICR ka full form –
MICR इसे बैंक में इस्तेमाल किया जाता है. एक आधुनिक तंत्रज्ञान है उसके मदद से चेक को परखा जाता है , यह 12 अंकों की एक समूहों को दर्शाता है इससे से आप चेक को अच्छी तरह से पहचान सकेंगे कि फर्जी है या सच में या असली चेक हे।
इन 12 अंकों में पहले तीन अंक जिल्हा या शहर को दर्शता हे उसके बाद के तीन अंक बैंक के दर्शाता हे उसके बाद के तीन अंक ब्रांच को दर्शाते हे। ये बारकोड से अलग होता हे इसे मनुष्य भी पढ़ सकता हे लिकेन मनुष्य ये नहीं बता सकता की ये चेक नकली हे या असली उसके लिए MICR स्कैनर की आवश्यकता होती हे।
उस सभी नंबर को चुंबकीय मैग्नेटिक स्याई से बनाया जाता है जिसे एक मशीनरी पढ़ सकते हैं और आदमी भी पड़ सकता है. इस नंबर को कॉपी नहीं किया जा सकता।ये एक यूनिक नंबर होते हैं उस नंबर को धोखाधड़ी को रोकने के लिए बनाया जाता है।
इस प्रणाली को सभी देश इस्तेमाल करते हे।ये बहुत ही सुरक्षित प्रणाली है जिसका इस्तेमाल को पढ़ने के लिए किया जाता है। micr बनाने में जो स्याई का इस्तेमाल किया जाता है वह बहुत महंगी होती है.
micr ka full form -MICR को इंग्लिश में micr full form – Magnetic ink character recognition कहते हैं और micr full form in hindi – चुंबकीय स्याई चरित्र मान्यता कहते हैं.
एमआईसीआर कैसे काम करता है
CHEQUE में इस्तेमाल करने के MICR चेक पर प्रिंट किया जाता है. इसे कैसे इस्तेमाल किया जाता है आज हम जानेंगे।
MICR मैं दो स्याई का इस्तेमाल किया जाता है। CMC -7 और E 13 B का इस्तेमाल किया जाता है यह दोनों भी चुंबकीय स्याई होती है जिसे मशीन भी पढ़ सकता हे और आदमी भी पढ़ सकता है।
१. CMC -7 और E 13 B स्याई का चेक पर इस्तेमाल करके उस पर अंक लिखे जाते हैं. इसमें चुंबकीय स्याई का इस्तेमाल होता है।
२. चेक को इस्तेमाल करने वाला उसे अपने बैंक में जमा करता है।
३. बैंक वाले एमआईसीआर रीडर या स्केनर की मशीन का इस्तेमाल करके इस पढता हे।
४. चेक असली हे ये सत्यप्रत होने पे पैसा जमा किया जाता हे।
इसे आदमी भी पड़ सकता है लेकिन यह चेक असली है या नकली समझ नहीं आता है.

MICR स्केनर क्या है
MICR स्कैनर एक मशीन या स्केनर है जिसे बैंक हमारे चेक को पढ़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
यह मशीन चेक असली है या नकली इसका पता बताता है. ये मशीन चेक पर चुंबकीय शयाई से लिखा हुवा नंबर पढ़ता हे और ये बताता हे की चेक असली हे या फर्जी हे।
यह मशीन बहुत तेजी से काम करता है और बहुत सारे चेक को तुरंत सत्यप्रत करता है. ये मशीन १/१००० सेकंड में पढ़ता हे।
History of micr in hindi
इसे पहली बार MICR को अमेरिका में इस्तेमाल किया गया था और खोजा गया था। इसे पहले चेक को क्लियर या जमा करने में बहुत सारा समय लगता था जिसे असुविधा होती थी जैसे-जैसे चेक का इस्तेमाल बढ़ता गया तो एक आधुनिक सिस्टम की जरूरत महसूस होने लगी।
तब स्टैंड फूड रिसर्च इंस्टीट्यूट एंड जनरल इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर ने इस MICR सिस्टम की खोज निकला। इसे चेक पर 0. 625 इंच के क्षेत्र में मुद्रित किया जाता है।
यह संख्या चेक नंबर और रूटीन नंबर या शहर का नंबर ,अकाउंट का नंबर में विभाजित क्या गया। इस टेक्निक्स से चेक को आसानी से पढ़ा जाता है.मैग्नेटिक इंक की मदद से चेक पर प्रिंट किया जाने लगा।
उत्तरी अमेरिका में E -13 B का इस्तेमाल एमआईसीआर कोड को प्रिंट करने में किया जाने लगा और यूरोप और बाकी देशों मेंCMC 7 का इस्तेमाल किया जाने लगा। अमेरिकन एसोसिएशन 1958 में इसे मंजूरी दी और 1959 से इसे इस्तेमाल किया।
एमआईसीआर के फायदे क्या है
१. एमआईसीआर इस्तेमाल से बैंक जल्दी से जल्दी बहुत सारे चेक को स्कैन करके करके उसे पढ़े और उसे सत्यप्रत कर सकता है इससे टाइम की बहुत बचत होती है और पैसे जमा होने में आसानी होती
२. फ्रॉड से इसकी मदद से बचा जा सकता है
३.MICR की स्याई बहुत महंगी होती लेकिन ये बहुत आसान प्रक्रिया जो कोई भी एंप्लोई है वह आसानी से इस प्रक्रिया को कर सकता है.
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